52 week high-low क्या हैं, क्या आप इसका सही फायदा उठा रहे हैं?
दोस्तों फंडामेंटल एनालिसिस में 52 वीक हाई- लो का बड़ा महत्व होता हैं, इसीलिए आपको पता होना चाहिए की 52 week high-low क्या हैं, क्या आप इसका सही फायदा उठा रहे हैं ?
52 week high-low क्या हैं ?
52 week high-low, किसी शेयर के पिछले 52 हफ्तों (लगभग एक साल) में सबसे ऊंचे और सबसे नीचले मूलय को बताता है। 52-वीक हाई वह सबसे ऊंचा मूलय है जिस पर शेयर ने इस एक साल में कारोबार किया है, और 52-वीक लो वह सबसे नीचला मूलय है। इससे हमें पता चलता है कि इस शेयर का मूलय इस एक साल में कितना ऊपर और कितना नीचे गया है। यह जानकारी हमें यह समझने में मदद करती है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा रहा है, और हम इसे कब खरीद या बेच सकते हैं। आप nse से किसि भी स्टॉक का 52 week high-low देख सकेंगे।
उदहारण के तौर पर देखे तो आज 26.07.2024 से पहले 52 हफ्तों में reliance industries का शेयर 3217 रूपए का हाई लगाया जिसे हम कहेंगे 52 वीक्स हाई, और 2220 रूपए का लो लगाया जिसे हम कहेंगे 52 वीक्स लो, अप्प निचे चार्ट में देख सकते हैं, आपको बता दें की 52 week high-low. (All time high-low) से अलग होता हैं, इसे हम अगले चार्ट में समझते हैं।
आप निचे दिए गए चार्ट में देख सकते हैं की yes बैंक ने आज 26.07.2024 से पहले 52 हफ्तों में 32.85 रूपए का हाई लगाया, और 15.70 रूपए का लो लगाया जिसे हम कहेंगे 52 week high-low .
पर अगर हम yes बैंक के max चार्ट में देखे तो, yes बैंक ने 2018 में लगभग 400 रूपए के आसपास All time high लगाया था, और 2009 में 9 रूपए के करीब All time low लगाया, आप निचे चार्ट में देख सकते हैं।
स्टॉक विश्लेषण में 52 week high-low क्यों महत्वपूर्ण है?
दोस्तों आपको बता दें की 52 week high-low स्टॉक विश्लेषण में बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं, इससे आप किसी भी स्टॉक के बड़े trend का अंदाजा लगा सकते हैं, बड़े trend से मेरा तात्पर्य यह हैं की, अगर कोई स्टॉक अपने 52 week high मूलय के आसपास ट्रेड करता हैं, या 52 week मूलय को क्रॉस करता हैं, तो इसके बहुत संयोग हैं की आने वाले समय में वह स्टॉक और जयादा upward movement दे जिससे निवेसको को फायदा होगा।
वही दूसरे तरफ अगर कोई स्टॉक अपने 52 weeks low के आसपास ट्रेड करता हैं, या उसे क्रॉस कर देता हैं, तो इसके बहुत ज्यादा संयोग हैं की, वह स्टॉक आने वाले समय में और ज्यादा गिरेगा। जिससे निवेशक और ट्रेडर्स को नुक्सान हो सकता हैं।
बहुत से ट्रेडर्स और निवेशक 52 week high-low से निवेश निर्णय लेते हैं, जैसे अगर कोई स्टॉक 52 week high को क्रॉस करता हैं तो निवेशक स्टॉक में प्रवेश करना पसंद करते हैं, उन्हें यह लगता हैं की आगे चलकर स्टॉक में और तेजी आएगा जिससे उन्हें अपने निवेश पर अच्छा मुनाफा हो सकता हैं।
वही दूसरे तरफ अगर कोई स्टॉक 52 week low को क्रॉस करता हैं तो ज्यादा तर निवेशक अपने स्टॉक को बेचना पसंद करते हैं, क्युकी उन्हें ऐसा लगता हैं की आने वाले समय में स्टॉक का मूलय और भी गिर सकता हैं, जिससे उन्हें नुक्सान हो सकता हैं।
स्टॉक के प्रदर्शन के बारे में 52 हफ्ते का उच्चतम और न्यूनतम मूल्य क्या बताता है?
दोस्तों आपको बता दें की यह आम तौर पर देखा जा चूका हैं, की 52 week high-low के करीब स्टॉक का volume बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता हैं, आपको बता दें की Volume and Price Patterns को लेकर एक स्टडी किया गया।
(“Volume and Price Patterns Around a Stock’s 52-Week Highs and Lows: Theory and Evidence,” conducted by economists at Pennsylvania State University, the University of North Carolina at Chapel Hill, and the University of California, Davis in 2008) [1]
जिसमे यह देखा गया की छोटे स्टॉक्स जो 52 week high को क्रॉस करते हैं, वह अगले हफ्ते में 0.6275% अतिरिक्त लाभ उत्पन्न करते हैं। और जो बड़े स्टॉक्स 52 week high को क्रॉस करते हैं वह अगले हफ्ते में 0.1795% का लाभ उत्पन्न करते हैं। कुल मिलाकर, ये ट्रेडिंग रेंज छोटे स्टॉक पर बड़े स्टॉक की तुलना में अधिक प्रभाव डालती हैं।
52 week high-low परिवर्तन
दोस्तों बहुत से निवेशक अक्सर 52 week के आसपास अपना स्टॉक बेचकर profit booking करना पसंद करते हैं, ऐसे में selling pressure के कारन स्टॉक अपना 52 week क्रॉस नहीं कर पाता और trend reversal हो जाता हैं, ऐसे में स्टॉक का मूलय बढ़ने बजाय कुछ समय के लिए गिरने लगता हैं।
वही दूसरे तरफ 52 week low के आसपास कुछ निवेशकों को ऐसा लगता है की स्टॉक अच्छे मूलय पर मिल रहा हैं तो वह स्टॉक को खरीद लेते हैं ऐसे में स्टॉक और गिरने के बजाय कुछ दिन के लिए बढ़ने लगता हैं और ऐसे में trend reversal हो जाता हैं।
52 week high-low सपोर्ट-रेजिस्टेंस
दोस्तों अगर कोई स्टॉक का 52 week high का मूलय 500 रूपए हैं, और कोई स्टॉक का 52 week low का मूलय 100 रूपए हैं तो, आम तौर पर यह support और resistance के तरह काम करता हैं, मतलब 500 रूपए इस स्टॉक का resistance होगा जिसके चलते जब भी स्टॉक 500 रूपए के आसपास ट्रेड कर रहा होगा तो निवेशक स्टॉक को बेचना सुरु करेंगे।
और 100 रूपए इस स्टॉक का support होगा जिसके चलते जब भी यह स्टॉक 100 रूपए के आसपास ट्रेड करेगा तो निवेशक और ट्रेडर्स स्टॉक को खरीदना सुरु करेंगे, और 100 रूपए स्टॉक का एक support level बन जायेगा।
निर्कर्ष
दोस्तो हमने समझा की 52 week high-low क्या हैं? और 52 week high-low फंडामेंटल एनालिसिस में कितना महत्वपूर्ण हैं, आपको बता दें की सिर्फ 52 week high-low को देखकर निवेश का निर्णय बनाना कभी कभी गलत भी हो सकता हैं, आपको फंडामेंटल एनालिसिस के अन्य कारको को भी देखना होगा तभी आप एक अच्छे मल्टी बैगर शेयर को चुन सकेंगे।
Bahut badiya…Stock selection ke bare me bhi bataiye sir
jarur batayenge.